वास्तु शास्त्र – गृह निर्माण – Vastu Shastra in Hindi, Vastu for Home

वास्तु शास्त्र – गृह निर्माण – Vastu Shastra in Hindi, Vastu for Home | वास्तु शास्त्र के टोटके –  वास्तु टिप्स हिंदी में | Vastu is an ancient science which helps to get the natural benefits offered by the five basic elements.

भारत में वास्तु शास्त्र का महत्व बहुत अधिक है | ऊपर भारत में वास्तु शास्त्र का महत्वपूर्ण बातों का उल्लेख किया गया है | वास्तु शास्त्र किसी निर्माण से जुड़ी चीजों के शुभ अशुभ परिणामों की व्याख्या करता है। यह किसी भी निर्माण के कारण होने वाली समस्याओं का कारण और रोकथाम भी बताता है। यह भूमि, दिशाओं और ऊर्जा के सिद्धांत पर काम करता है। इसमें भी पंचतत्वों के संतुलन का सिद्धांत काम करता है। यह एक प्राचीन अनुशासन है, जिसे वर्तमान आधार पर समझना आवश्यक है।

जानिए वास्तु टिप्स, जो आपको स्वास्थ्य समस्याओं, वित्तीय संकट, रिश्ते की समस्याओं, करियर संबंधी चिंताओं से छुटकारा पाने में मदद करते हैं, घर के लिए वास्तु शास्त्र टिप्स भी पढ़ें |

वास्तु के नियम या वास्तु के हिसाब से घर बनाने का तरीका बहुत ही सरल तरीके से बताया गया है | अगर आप भी यह जान ना चाहते है कि वास्तु शास्त्र से मकान कैसे बनाते हैं? तो इस लेख को जरूर पढ़ें | इस पोस्ट में वास्तु शास्त्र के हिसाब से मकान बनाने की विधि बताई गयी है | अगर आप इन वास्तु शास्त्र के हिसाब से घर बनाने की विधि को जान लेंगे तो आपके पास वास्तु शास्त्र सामान्य ज्ञान होगा जिस से आप यह जन पाएंगे कि वास्तु शास्त्र के हिसाब से क्या करना चाहिए?

  • घर की छत धरती से सवा दस फुट की ऊँचाई पर होनी चाहिए |
  • घर के बड़े को दक्षिण-पश्चिम में रहना चाहिए |
  • धरती कैसी होनी चाहिए….. पश्चिम में ऊँची हो, पूर्व में ढली हो, दक्षिण में ऊँची हो और उत्तर में ढली हो |

वास्तु नियमों का सारांश

पूर्व व उत्तर में अधिक खुली जगह।

पश्चिम व दक्षिण में कम खुली जगह।

पूर्व व उत्तर में ढाल।

ईशान में जल तत्त्व।

अग्नि कोण में रसोई घर व अग्नि तत्त्व।

पश्चिम व दक्षिण में रहने व सोने के कमरे।

नैऋत्य में मुख्य व्यक्ति का निवास।

कमरे से जुड़े शौचालय-अग्नि व वायव्य में बनाये जा सकते हैं परन्तु इससे पूरे कमरे में कोई अमंगलकारी घटाव या बढ़ाव नहीं होना चाहिए।

सीढ़ी-अग्नि या वायव्य में।

ईशान से मुख्य प्रवेश।

अन्य द्वार-मंगलकारी स्थल में।

छत का ढाल पूर्व व उत्तर में।

पूरे भूखण्ड में वजन बटा हुआ परन्तु पश्चिम एवं दक्षिण का हिस्सा पूर्व व उत्तर के हिस्से से भारी व ऊँचा, कमरे में संयुक्त जुड़ा हुआ लेट्रिन बाथरूम होना हितकर नहीं है।

वास्तु शास्त्र के उपयोग में क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

  • वास्तुशास्त्र को समझने के लिए कुंडली का भी अध्ययन करना चाहिए, इसके बाद ही परिणाम सही होंगे |
  • जमीन पर बने मकान और फ्लैट के अंतर को भी समझना होगा।
  • वास्तु के सिद्धांत बहुत अलग हैं।
  • इसके अलावा घर के रंग पर भी ध्यान देना चाहिए।
  • यह भी समझना होगा कि घर में रहने वाले लोग कैसे हैं

वास्तु शास्त्र में क्या ध्यान दिया जाना चाहिए?

  • घर की मुख्य दिशा पर ध्यान दें
  • धूप पर ध्यान दें
  • घर के मुखिया के साथ घर के वास्तु का समन्वय देखें
  • घर में कोई गड़बड़ी होने पर उसे रंगों के जरिए ठीक करें
  • पूजा स्थल और घर की सीढ़ी पर विशेष ध्यान दें
  • घर में नियमित रूप से पूजा करें

फ्लैट वास्तुकला में क्या ध्यान दिया जाना चाहिए?

  • फ्लैट की दिशा समझ में नहीं आती है
  • धूप और हवा पर ध्यान दें
  • घर के रंगों पर विशेष ध्यान दें
  • घर में पूजा का स्थान जागृत रखें
  • घर का प्रवेश द्वार अच्छा बनाएं